रोगमुक्त जीवन के लिए मोटे अनाज यानि मिलेट्स सर्वोत्तमः डॉ. खादर वली

मिलेट्स फार्मिंग एंड फ़ूड पर विस्तृत जानकारी दी मिलेट्स मैन ऑफ इंडिया डॉ खादर वली – उमेन्द्र दत्त ,खेती विरासत मिशन
बठिंडा
भारत में मरूस्थलीकरण तेजी से बढ़ रहा है, मौजूदा आंकड़ों के अनुसार भारत में 29.76 प्रतिशत भूमि बंजर हो गई है। इसके साथ ही देश के सामने पोषणयुक्त खाद्यान्न की समस्या भी मुंह उठाए खड़ी है। इन सभी समस्याओं के हल के लिए मोटे अनाजों की खेती को मिलेट मैन के नाम से विख्यात डॉ. खादर वली ने सर्वोत्तम माना है। रविवार को बठिंडा
में मिलेट्स यानि मूल अनाज पर आयोजित कार्यशाला में डॉ. वली ने किसानों-अधिकारियों एवं कृषि वैज्ञानिकों के सामने अपने विचार रखे। खेती विरासत मिशन के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर उमेन्द्र दत्त ने कहा कि अगर हमें रोगमुक्त जीवन जीना है तो मोटे अनाजों को उगाना और उनका उपभोग करना जरूरी है। मोटे अनाजों की ओर लौटने पर हमारी सेहत संबंधी दिक्कतें स्वतः खत्म हो जाएंगी।

स्वस्थ जीवन हेतु मोटे अनाजों के महत्व पर आयोजित चर्चा के दौरान डॉ. खादर वली ने कहा कि बीमारियों के बढ़ने का बड़ा कारण हमारा खान-पान है। हमें अपने खानपान को सुधारने की जरूरूत है। मोटे अनाज हमारे भोजन और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा हैं। कन्नड़ भाषा में पंचरत्न का बड़ा उल्लेख है, ये पंचरत्न हैं- कोदा, कावणी, रागी, सांवा और हरा सांवा। इन पोषक अनाजों के लिए सिंचाई की जरूरत भी कम रहती है। गेहूं और चावल के उत्पादन के लिए जितना पानी साल भर में इस्तेमाल किया जाता है उतने पानी में 25 से 30 तक मोटे अनाज उगाए जा सकते हैं। पानी के लगातार दोहन से भूजल कम हो रहा है और बंजर भूमि का दायरा बढ़ता जा रहा है। डॉ. वली ने कहा कि मोटे अनाज लगाने से बंजर भूमि को उर्वरा बनाया जा सकता है। साथ ही इनके सेवन से कैंसर, बीपी, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह जैसी घातक बीमारियों से बचा जा सकता है।

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